एक अस्पताल के कमरे में दो बुजुर्ग भरती थे|
एक उठकर बैठ सकता था परंतु दूसरा उठ नहीं सकता था
जो उठ सकता था, उसके पास एक खिडकी थी वह
बाहर खुलती थी
वह बुजुर्ग उठकर बैठता और दूसरे बुजुर्ग जो उठ नहीं सकता
उसे बाहर के दृश्य का वर्णन करता
सडक पर दौडती हुई गाडियां काम के लिये भागते
लोग
वह पास के पार्क के बारे में बताता कैसे बच्चे खेल रहे हैं
कैसे युवा जोडे हाथ में हाथ डालकर बैठे हैं कैसे नौजवान
कसरत कर रहे हैं आदि आदि .....
दूसरा बुजुर्ग आँखे बन्द करके अपने बिस्तर पर पडा पडा उन
दृश्यों का आनन्द लेता रहता|
वह अस्पताल के सभी डॉ.,
नर्सो से भी बहुत अच्छी बातें करता
ऐसे ही कई माह गुजर गये
एक दिन सुबह के पाली वाली नर्स आयी तो उसने
देखा कि वह बुजुर्ग तो उठा ही नहीं है ऩर्स ने उसे
जगाने की कोशिश की तो पता चला वह तो नींद में
ही चल बसा था
आवश्यक कार्यवाही के बाद दूसरे बुजुर्ग का पडोस
खाली हो चुका था वह बहुत दु:खी हुआ
खैर, उसने इच्छा जाहिर की कि उसे पडोस के बिस्तर पर
शिफ्ट कर दिया जाय
अब बुजुर्ग खिडकी के पास था उसने सोचा चलो
कोशिश करके आज बाहर का दृश्य देखा जाय
काफी प्रयास कर वह कोहनी का सहारा लेकर उठा
और बाहर देखा तो अरे यहां तो बाहर दीवार थी ना
कोई सडक ना ही पार्क ना ही खुली हवा
उसने नर्स को बुलाकर पूछा तो नर्स ने बताया कि यह
खिडकी इसी दीवार की तरफ खुलती हैं
उस बुजुर्ग ने कहा लेकिन........ वह तो रोज मुझे नये दृश्य
का वर्णन करता था
नर्स ने मुस्कराकर कहा ये उनका जीवन का नजरीया
था वे तो जन्म से अंधे थे|
इसी सोच के कारण वे पिछले 2-3 सालों से कैंसर जैसी
बिमारी से लड रहे थे
सारांक्ष:
जीवन नजरीये का नाम है
अनगिनत खुशियां दूसरों के साथ बांटने में ही हमारी
खुशियां छिपी हैं
खुशियां ज्यादा से ज्यादा शेयर करें लौटकर खुशियां
ही मिलेगीं...
सुप्रभात दोस्तो
The first time progressive of modern Indian Arts ,Science , Rationality, Awareness , Curiosity,Courage, Persistence
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